वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं । श्री हनुमान बाहुक का प्रयोग गम्भीर रोगों के निवारण हेतु किया जाता है। श्री हनुमान बाहुक की रचना तुलसीदास जी ने रोगों से मुक्त होने की कामना से की थी। इसके पाठ से श्री हनुमान जी प्रसन्न होते https://ziondgdzv.blog5.net/76086848/5-simple-techniques-for-hanuman-chalisa